हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह आराफ़ी ने आज क़ुम मुक़द्दस में आयोजित "हौज़े ए इल्मिया की साल की चयनित किताब और लेख" के समापन सत्र में धार्मिक विज्ञानों के विकास और आधुनिक शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने आयतुल्लहिल उज़्मा शुबैरी ज़ंजानी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे हौज़ा ए इल्मिया की प्रमुख शख्सियतों में शामिल हैं और उनकी शैक्षिक सेवाओं को हमेशा याद रखा जाएगा।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि हौज़ा ए इल्मिया को दो मुख्य लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:
- धार्मिक विज्ञानों में गहरी और अधिक शोध करना, अर्थात् फ़िक़ह और इस्लामी विज्ञानों को और विस्तृत और मजबूत बनाना आवश्यक है।
- वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार शैक्षिक कार्य: आज के समय और इस्लामी समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शोध और किताबें लिखी जाएं।
उन्होंने कहा कि धार्मिक विज्ञानों के शोध में आधुनिक शैक्षिक साधनों और तरीकों को अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि शैक्षिक काम अधिक प्रमाणिक और लाभकारी हो सके। इसके साथ ही हौज़े ए इल्मिया को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध को बढ़ावा देने और महिलाओं के शैक्षिक क्षेत्र में योगदान पर भी ध्यान देना चाहिए।
अंत में, आयतुल्ला अइराफ़ी ने शोधकर्ताओं से कहा कि वे फ़िक़ह और अन्य इस्लामी विज्ञानों पर अधिक शोध करें और अपने काम को और अधिक मानक और प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक तकनीकी संसाधनों का उपयोग करें।
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